Project Description
Story:
जैसे आज के वक़्त होटल और रिसोर्ट होते है , पहले के समय मे सराय होती थी, दिल्ली मे जैसे शेख सराय , नेब सराय , सराय रोहिल्ला या दिल्ली के बाहर मुग़लसराय , यह सब उस वक़्त के होटल होते थे , मुसाफिर घोड़ो पर सवार होकर सफर किया करते थे एक शहर से दूसरे शहर , ठीक जैसे आज हम लोग कार से सवारी करते है और रात मे होटल मे stay. आज तो लोग टीवी , मोबाइल देखना शुरू कर देते है पर कभी सोचा है पहले लोग क्या करते थे , मुसाफिर लोग रात मे सराय मे अपने घोड़े बाँध कर एक दूसरे से मुखातिब होते थे , बाते करते थे किस्से सुनते थे , अपने अपने शहर के बारे मे बाते करते थे , ऐसी हे एक सारे हुमायूँ के मक़बरे के पास है , जिसको बहुत हे काम लोह जानते है , जिसका नाम है अरब की सराय “अरब की सराय”। इसके पीछे कई सारी theories है , एक तो यह की इसे बेगा बेगम उर्फ हाजी बेगम ने उन राजमिस्त्रियों और कारीगरों के लिए बनवाया था, जिन्होंने हुमायूँ का मक़बरा बनवाया था और जिनको जिन्हें वह अकबर के शासनकाल के दौरान अरब से अपने साथ लाई थी और दूसरी थ्योरी है : 1560 Ad मे हाजी बेगम जो की हुमायूँ की पहली बीवी थी वह हज पर गयी थी ( इसलिए उनको हाजी बेगम कहा जाता है), आज सिर्फ एक ही गेट सलामत रह गया है, जो आप देख रहे है , कहा जाता है की हाजी बेगम साथ लगभग 300 अरब भी दिल्लीआगए , लगभग 100 के करीब आमिर सैय्यद फैमिलीज़ के थे 100 के करीब ऐसे लोग थे जो और अच्छे परिवारों से थे , ओर 100 लोग इन परिवारों की सेवा करने वाले लोग थे. आज भी दिल्ली मे इन परिवारों के लोग रहते है। क्यों की यहाँ एक sarai थी, तो ज़ाहिर है पानी के एक बाओली भी थी उन लोगो के लिए , यह पानी की बाओली दिल्ली की सबसे छोटी पानी की बाओली है , जो अब ज़यादा अच्छे हालत मे तोह नहीं है पर हैं , पर पानी आज भी है इस सराय के साउथ मे एक फल और सब्ज़ी , or gulam bikte they मंडी थी , जिसको कहा जाता था अरब की मंडी , इसे अरब की सराय में रहने वाले कारीगरों की था।. जरूरतों को पूरा करने के लिए जहांगीर के शासनकाल के दौरान मेहर बानू ने बनवाया , जिसको की कुछ लोग मेहरबान आगा नामक से भी जानते है जो की एक ख्वाजा सरा थे। .मतलब आज के ज़माने मे कहा जाये तो हिजड़ा या ख़ुसरा, और जहांगीर के खास थे, अरब की मंडी उस वक़्त बारापुला पल तक फ़ैली थी. यहाँ एक मस्जिद और एक मकबरा भी है(1560-1567 के बीच मे बनी यह ईमारत) जिसे अफसरवाला के नाम से जाना जाता है , अफसर के बना इंग्लिश शब्द ओफ्फिसर, दरहसल अफसर एक पर्शियन ट्राइबल नाम है , और उस समय मुग़ल दरबार मे कई सारे इस tribe के लोग होते थे, उसमे वह भी थे जिन्होंने वापस हुमायूँ को उसकी गद्दी दिलवाने मे मद्दद की थी तो यह यह ईमारत उसी अफसर की है। जिसका नाम अफसर था 1560- तो यह थी कहानी हुमायूँ के मक़बरे के compound मे बने उन अनजाने इमारतों की और उनके पीछे के इतहास की , जो हमारे नज़रो के सामने होते हुए भी दिखायी नहीं देते , और भी कई इमारते और उन के पीछे के कहानियां है। .जिसको अगली एपिसोड मे आपको बतायेंगे। . अगर आपके पास भी ऐसे मोन्यूमेंट या इमारते की कहानी है तो मेल करसकते है।
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